अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक अक्षय तृतीया
अक्षय तृतीया के अति पावन शुभ अवसर पर इस बार राजा सूर्य और मंत्री गुरु का
दिव्य संयोग बन रहा है। ज्योतिषी के अनुसार 24 अप्रैल को अक्षय तृतीया के दिन 12 वर्ष बाद राजा-मंत्री यानी गुरु-सूर्य का सुंदर योग बन
रहा है। इससे पहले 6
मई 2000 को ऐसा योग बना था। 2012
के बाद 2024 में यह योग बनेगा। इस दिन रोहिणी नक्षत्र पूरे दिन-रात को रहेगा।
अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक अक्षय तृतीया को कहा जाता है। इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ही अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे और वह भी गुरु के साथ। सूर्य के साथ मेष राशि में गुरु भी रहेंगे। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। कहते हैं कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है।
स्वयंसिद्ध मुहूर्त : इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। इस बार की अक्षय तृतीया पर मंगलवार के दिन सूर्यदेवता अपनी उच्च राशि मेष में रहेंगे। और वही इस दिन के स्वामी भी होंगे। रात्रि के स्वामी चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे।
अनंत-अक्षय-अक्षुण्ण फलदायक अक्षय तृतीया को कहा जाता है। इस दिन सूर्य एवं चंद्रमा दोनों ही अपनी-अपनी उच्च राशि में रहेंगे और वह भी गुरु के साथ। सूर्य के साथ मेष राशि में गुरु भी रहेंगे। जो कभी क्षय नहीं होती उसे अक्षय कहते हैं। कहते हैं कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए भी विशेष अनुष्ठान होता है जिससे अक्षय पुण्य मिलता है।
स्वयंसिद्ध मुहूर्त : इस दिन बिना पंचांग देखे कोई भी शुभ कार्य किया जा सकता है। क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस दिन स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना गया है। इस बार की अक्षय तृतीया पर मंगलवार के दिन सूर्यदेवता अपनी उच्च राशि मेष में रहेंगे। और वही इस दिन के स्वामी भी होंगे। रात्रि के स्वामी चंद्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में रहेंगे।
शुक्र अपनी स्वराशि वृषभ में
रहेंगे। 27 तरह के योगों में अक्षय तृतीया
के दिन सौभाग्य नामक योग रहेगा। यह
अपने नाम के अनुसार ही फल देता है। उच्च के सूर्य के साथ मंगल कार्यों के स्वामी बृहस्पति अपनी मित्र राशि मेष में होंगे। ऐसी स्थिति प्रत्येक 12 वर्ष बाद बनती है।
मंगल कार्य जो किए जा सकते हैं : इस दिन समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदें, नया सामान,गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।
क्यों है इस दिन का महत्व : भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का
मंगल कार्य जो किए जा सकते हैं : इस दिन समस्त शुभ कार्यों के अलावा प्रमुख रूप से शादी, स्वर्ण खरीदें, नया सामान,गृह प्रवेश, पदभार ग्रहण, वाहन क्रय, भूमि पूजन तथा नया व्यापार प्रारंभ कर सकते हैं।
क्यों है इस दिन का महत्व : भविष्य पुराण के अनुसार अक्षय तृतीया के दिन सतयुग एवं त्रेतायुग का
प्रारंभ
हुआ था। भगवान विष्णु के 24 अवतारों में भगवान परशुराम, नर-नारायण
एवं हयग्रीव आदि तीन अवतार अक्षय तृतीया के दिन ही धरा पर
आए। तीर्थ स्थल बद्रीनारायण के पट भी अक्षय तृतीया को खुलते हैं। वृंदावन
के बांके बिहारी के चरण दर्शन केवल अक्षय तृतीया को होते हैं। वर्ष में
साढ़े तीन अक्षय मुहूर्त है,
उसमें प्रमुख स्थान अक्षय
तृतीया का है। ये हैं- चैत्र शुक्ल गुड़ी पड़वा, वैशाख
शुक्ल अक्षय तृतीया सम्पूर्ण दिन,
आश्विन शुक्ल विजयादशमी
तथा दीपावली की पड़वा का आधा दिन।
पं.गिरीश दयाल चतुर्वेदी
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