शास्त्रों के कथनों को सब लोग अपने अपने ढंग से अर्थ करते है जैसे ........
1.झूठ बोलने बाला व्यापारी कहता है -व्यापार में झूठ मिले हुए सत्य के बिना काम ही नहीं चलता |मनु महाराज ने --कहा है --सत्यानिर्तं तू वाणिज्यम् व्यापार में मिथ्या भाषण अपराध नहीं माना गया है
२.परिवार में मोह- आसक्ति रखने वाला सोचता है -भगवन ने इनको हमारे हांथो सोंपा है ,इसलिए इनकी सार-सभाल करना हमारा धर्म है .......
३. आलसी कहता है --अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम ||
२.परिवार में मोह- आसक्ति रखने वाला सोचता है -भगवन ने इनको हमारे हांथो सोंपा है ,इसलिए इनकी सार-सभाल करना हमारा धर्म है .......
३. आलसी कहता है --अजगर करे न चाकरी पंछी करे न काम, दास मलूका कह गए सब के दाता राम ||
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