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Showing posts from 2018

क्या आप परेशान है?

१. क्या आप अपनी नौकरी से परेशान है ? २. क्या आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं? ३. क्या आप गृह क्लेश से पीड़ित है? ४. क्या आपके मन में अपनी शिक्षा, करियर, व्यापार-व्यवसाय आदि से सम्बंधित कोई प्रश्न है? ५. क्या आपका स्वास्थ्य ख़राब रहता है ? यदि हाँ,तो सम्पर्क करें :-                                                                                  समाधान ज्योतिष परामर्श केंद्र                     पं.गिरीश दयाल चतुर्वेदी               ज्योतिषाचार्य       मोबा.-9993362593      सायं-६:०० से ७:०० बजे तक                                       

रोग निवारण हेतु रुद्राक्ष प्रयोग

एक मुखी रुद्राक्ष - धारण करने से स्त्री संबंधी रोग ह्रदय रोग त्वचा रोग तथा उधर संबंधी रोगों की शांति में सहायक है दो मुखी रुद्राक्ष - मस्तिष्क गुर्दा फेफड़े एवं पाचन तंत्र से संबंधित रोग शांति में सहायक हैं तीन मुखी रुद्राक्ष - रक्त विकार रक्तचाप शक्ति छेड़ता और स्त्रियों में मासिक धर्म संबंधी रोगों के निवारण में सहायक है 4 मुखी रुद्राक्ष - मानसिक रोग पक्षाघात पीत ज्वर दमा खांसी यौन विकार मंदबुद्धि बच्चों को तथा बाग शक्ति कमजोरी में धारण करें पंचमुखी रुद्राक्ष - मधुमेह योवन व्याधियों उच्च रक्तचाप बाल गृह आदि रोगों की शांति होती है छह मुखी रुद्राक्ष - नेत्र रोग दृष्टि दोष नपुंसकता प्रदर रोग निवारण में लाभदायक है सात मुखी रुद्राक्ष - दुर्बलता लकवा की दुर्बलता मिर्गी रोग में धारण करना शुभ होता है 8 मुखी रुद्राक्ष - चर्म रोग सर्पदंश अभय शीघ्रपतन नपुंसकता एवं ल्यूकोरिया आदि रोगों को शांत करने में लाभकारी है 9 मुखी रुद्राक्ष - हिस्टीरिया महावारी दोस्त मानसिक रोग बच्चों में देर से चलना देर से बोलना आंखों में दृष्टि दोष अपस्मार आदि रोगों को धारण करने में लाभ होता है 10 मुखी रुद्राक्ष

पत्नी प्राप्ति के लिए विश्वावसु प्रयोग

निम्न मंत्र का यदि संभव हो तो सवा लाख जाप करें अन्यथा प्रतिदिन 7 बार मंत्र से तर्पण करने से कुछ समय में कार्य सफल हो जाते हैं विनियोग-ओम अस्य श्री गंधर्व राज विश्वावसु गंधर्व मंत्रस्य सम्मोहन ऋषि गायत्री छंद श्री गंधर्व विश्वावसु देवता भार्या लाभार्थे जपे विनियोग मंत्र - ऊं विश्वावसु नामनि गंधर्व कन्या नाम अधिपति सुरुपां सालं करां कन्या देहि में नमस्तस्मै  विश्वावसये स्वाहा

पुत्र प्राप्ति का उपाय

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रविवार के दिन पुत्रजीवा बूटी तथा शिवलिंगी बूटी को जड़ डाली तथा पत्तों सहित उखाड़ लाएं फिर एक वर्ण वाली गाय के दूध के साथ उसे कुमारी के द्वारा पिसबा कर एक ही वर्ष वाली गाय के दूध के साथ मिलाकर रजोदर्शन से शुद्ध होकर चौथे दिन से छठे दिन तक 3 दिन पिएं दवा की मात्रा एक तोला प्रतिदिन मिश्री मिलाकर दूध भात का भोजन करें अधिक परिश्रम ना करें दवा पीने से पूर्व नीचे लिखे मंत्रों की एक माला श्रद्धा विश्वास पूर्वक जप ले ओम नमो भगवते वासुदेवाय                      अथवा देवकी सुत गोविंद वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत तदनंतर प्रतिदिन दवा पीने से पूर्व मंत्र जपे साथ ही 72 यंत्र का भी प्रयोग करें इस यंत्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखकर बाई भुजा कमर या कंठ पर तांबे की ताबीज में डालकर धूप देकर धारण करें साथ ही हरिवंश पुराण श्रवण भी करें तो निश्चित ही संतान लाभ पुत्र लाभ होगा        

।ऋण मोचन (मुक्ति )के लिए उपाय

**उपाय नं.१- कुश की जड़ बिल्व का पंचांग (पत्र फूल फल लकड़ी जल )तथा सिंदूर इन सबका चूर्ण बनाकर चंदन की पीठिका पर नीचे लिखे मंत्र को लिखें , तदनंतर पंचोपचार से पूजन करें गोघृत के द्वारा 44 दिनों क प्रतिदिन सात बार हवन मंत्र की जप संख्या कम से कम 10000 है जो 44 दिनों में पूरी होनी चाहिए 43 दिनों तक प्रतिदिन 228 मंत्रों का जाप हो जाएगा और 44 वे दिन 196 मंत्रों का जाप होगा तदनंतर 1000 मंत्र का दशांश के रूप में करना आवश्यक है मंत्र है "ओम आं हीं क्रौं श्रीं श्रियै नमः ममालक्ष्मीं नाशय नाशय मामृणोत्तीर्णं कुरु कुरु सम्पदं वर्धय वर्धय स्वाहा " उपाय नंबर दो ऋण मोचक मंगल स्त्रोत प्रति मंगलवार 11 बार पाठ हनुमान मंदिर में अथवा पूजा स्थल में करने से ऋण मुक्ति होती है उपाय नंबर 3 ऋण हर्ता गणपति स्तोत्र, गजेंद्र मोक्ष, अथवा कुबेर मंत्र श्री सूक्त पाठ ,श्री कनकधारास्तोत्रम् के पाठ से भी शीघ्र ऋण मुक्ति होती है प्रयोग नंबर 4 प्रत्येक बुधवार को किसी गणेश मंदिर में जाकर मोदक का भोग अर्पित करें तथा 11 परिक्रमा देवे परिक्रमा देते समय ओम गं गणपतए नमः मंत्र का उच्चारण करें प्रयोग नंबर 5 ऋण

संयुक्ताक्षर राशी ज्ञान

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नमो राघवाय, आज एक पंडित जी एक समस्या लेकर के मेरे पास आये कि किसी जातक की राशी नाम संयुक्तअक्षर से हो तो राशी का निर्धारण कैसे करेंगे,मैंने उनकी शंका का समाधान किया और मै आप सभी जिज्ञासु व्यक्तियों के लिए साझा कर रहा हूँ- ज्ञानचंद ,द्वारिका प्रसाद ,क्षेमचन्द,त्रिलोक बाबू ,ग्यारसी लाल, द्यालाराम की जन्म राशी व नक्षत्र चरण शस्त्रीय दृष्टि से क्या मान्य होगा ? और यदि हस्त नक्षत्र के तृतीयचरण (ण) पर किसी बच्चे का जन्म हो तो उसका क्या नाम रखा जाये ? आज विभिन्न पंचांगों में राशी नाम अक्षर से अनेक नाम की सारणी उपलब्ध है लेकिन संयुक्त अक्षर से नाम रखने में अधिकांशतः संशय होता है | इस सन्दर्भ में शंका समाधान हेतु आज का लेख प्रस्तुत है - आर्द्रा का तृतीयचरणाक्षर (ड) हस्त का तृतीयचरणाक्षर (ण) और उ.भा. के चतुर्थचरणाक्षर (ञ) पर किसी का नाम हो या ये अक्षर किस के नाम अदिमें पाए गए हो ऐसा आज तक नहीं सुना अतः शतपदचक्रानुसार ड,ण ,ञ ईन तीनो वर्णों में से कोई वर्ण जातक के जन्म नक्षत्र चरण आ पड़े तो उस परिस्तिथि में क्रमशः घ ,थ ,झपर नाम रखना चाहिए यथा -                              नामादाै नव लोक्यन