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Showing posts from May, 2012

पुराणों के अनुसार बड़ी है मंगल देवता की महिमा

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पुराणों में मंगल देवता की पूजा की बड़ी महिमा बतायी गयी है। यह प्रसन्न होकर मनुष्य की हर प्रकार की इच्छा पूर्ण करते हैं। भविष्यपुराण के अनुसार मंगल व्रत में ताम्रपत्र पर भौमयन्त्र लिखकर तथा मंगल की सुवर्णमयी प्रतिमा की प्रतिष्ठा कर पूजा करने का विधान है। मंगल देवता के नामों का पाठ करने से ऋण से मुक्ति मिलती है। जिस मंगलवार को स्वाति नक्षत्र मिले, उसमें भौमवार व्रत करने का विधान है। मंगल देवता के नामों का पाठ करने से ऋण से मुक्ति मिलती है। अंगारक व्रत की विधि मत्स्य पुराण के 72वें अध्याय में लिखी गयी है। मंगल अशुभ ग्रह माने जाते हैं। यदि ये वक्रगति से न चलें तो एक एक राशि को तीन तीन पक्ष में भोगते हुए बारह राशियों को पार करते हैं। मंगल ग्रह की शांति के लिए शिव उपासना तथा प्रवाल रत्न धारण करने का विधान है। दान में तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, गुड़, लाल चंदन, लाल पुष्प, केशर, कस्तूरी, लाल बृषभ, मसूर की दाल तथा भूमि देना चाहिए। मंगलवार को व्रत करना चाहिए तथा हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इनकी महादशा सात वर्षों तक रहती है। यह मेष तथा वृश्चिक राषि के स्वामी हैं। मंगल

अनिष्टकारी शनि को प्रसन्न करने का अचूक उपाय

1.शनिवार का व्रत रखें  2. कीकर की दातुन (दतवन)करें  3.43 दिन तक कौओ को रोटी डालें ,यह कार्य शनिवार से आरम्भ करें  4.काला कुत्ता पाले या काले कुत्ते को शनिवार के दिन मीठी रोटी डाले  5."सिद्ध शनि यंत्र"गले में धारण करें ,ढैय्या या साढ़ेसाती से बचने हेतु "सिद्ध यमाग्रज शनि"यंत्र धारण करें  6.शनिवार को सरसों तेल में अपनी छाया देखकर भिखारी को दान करें  7.8 किलो काले उड़द में सरसों तेल मिलाकर काले कपडे में बांधकर शनिवार की संध्या सूर्यास्त के बाद बहती दरिया में बहा दें  8.शनि चालीसा का पाठ करें  9.साडेसात रत्ती बजन का "नीलम"पंचधातु की मुद्रिका में शनिवार के दिन जड़वा कर,शनिवार को ही दाहिने हाथ में मध्यमिका ऊँगली में धारण करें,महिलाएं बाये हाथ में धारण करें  10.काले घोड़े की नाल या किश्ती के कील का बिना जोड़ वाला छल्ला शनिवार को बनवा कर शनिवार को ही धारण करें  11.शनिवार को शनि मंदिर में तेल व काले उडद चड़ाये

नव ग्रह और आप.......

नव ग्रह और आप...... ग्रहों  के कुप्रभावो से परेशान होकर मन में तरह-तरह के कुविचार आने लगते है जैसे-'इस दुःख भरे जीवन से मौत भली,मेरा भाग्य ही खराब है जो ग्रहों ने मुझे  परेशान कर रखा है  ऐसे जीने से तो अच्छा है भगवान मुझे उठा ही ले.....'इस तरह व्यर्थ बाते सोच-सोचकर मानसिक और शारीरिक रूप से कष्ट पाते हुए जीवन को हम  बोझ की तरह जीते है|यदि आपको ग्रहों से पूर्ण परिचय के साथ-साथ उनके अनिष्ट प्रभाव से बचने की रीति ज्ञात हो जाये, तो आप स्वयं को नव ग्रहों के अनिष्ट से बचा सकते है | नवग्रहों के अनिष्ट से बचने के लिए सबसे उत्तम उपाय 'नवग्रह उपासना'है अपनी जन्मपत्री से सबसे शुभ ग्रह को  जानकर उसकी उपासना करके अन्य ग्रहों को अपने वश में कर सकते है| कुंडली से ग्रहों के अरिष्ट या अनिष्ट का भान कर लेने पर जब तक उपाय के द्वारा उसे दूर न किया जाए तब तक ज्योतिष की उपयोगिता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहेगा ? किसी भी अनिष्ट से मुक्ति के लिए या किसी भी क्षेत्र में सफलता पाने के लिए उपाय करना अतिआवश्यक है|उपाय का प्रयत्न(कर्म)से सम्बन्ध है और सफलता में पूर्ण  सहायक है|  प्रायः उपाय दो