जीवन में रुद्राक्ष का बहुत महत्व है| रुद्राक्ष के बारे में लोगो में काफी भ्रम व्याप्त है|विश्व में सबसे अधिक रुद्राक्ष की फसल "इंडोनेशिया"में होती है, तत्पश्चात नेपाल,अफ्रीका,जावा,सुमात्रा,मलेशिया,भूटान तथा भारत में (असम,हिमालय की तराई,दक्षिण भारत) में होती है रुद्राक्ष केवल नेपाल का ही शुभ होता है एसी बात मिथ्या है यह मान्यता हिन्दुओं में हिंदू देवता शिव के साथ जुडी हूई है परन्तु यथार्थ में किसी भी देश-प्रदेश के रुद्राक्ष का स्वभाव-तासीर एक ही है| नेपाल में बड़े आकार के दाने पैदा होते है जबकि इंडोनेशिया में छोटे आकार के सर्वाधिक मात्रा में पाए जाते है| रुद्राक्ष का मुख्य व सीधा सा कार्य मानसिक शांति प्रदान करना है इसकी अपनी एक चुम्बकीय शक्ति होती है, जो कि ब्लड-प्रेशर को संतुलित कर ह्रदय को मजबूती प्रदान करती है| रुद्राक्ष एक्यूप्रेशर का कार्य करता है| इसके उठे हुए नोक उंगलियों को उचित दवाब देते है, जिसमे ह्रदय सम्बन्धी ऊँगली भी है| जिससे ह्रदय को बल मिलता है|रुद्राक्ष में छेद नहीं होता बल्कि वृक्ष से तोड़ने के बाद किया जाता है इनके छिलके मजबूत होते है| एक विशेष प्रकार की प्रक्रिया के द्वारा उतारे जाते है फिर भी यदा-कदा कुछ दानो में छिलके लगे रह जाते है,जो कि इस बात का प्रमाण है कि फल पकने से पूर्व तोडा गया है तत्पश्चात पालिश करके (माला के लिए)मार्केट में बेचा जाता है|
|| रुद्राक्ष प्रयोग ||
सर्वाश्रमाणाम् वर्णानां स्त्रीशूद्रनाम् शिवज्ञया||
धार्यासदैव रुद्राक्षा: रूद्ररूपा समाहिता: ||(शिव पुराण विश्वेश्वर खंड २५ /४७ )
१.एक मुखी रुद्राक्ष -साक्षात् शिव स्वरूप है और ब्रह्म हत्या आदि महा पापों को दूर करता है
२.दो मुखी रुद्राक्ष -देवी-देवताओ का स्वरूप है,.दो मुखी रुद्राक्ष पापों को दूर करता है अर्धनारीश्वर रूप है |और इसे धारण करने से अर्धनारीश्वर प्रसन्न होते है"
३.त्रिमुखी रुद्राक्ष -अग्नि रूप है तथा नारी हत्या पाप को दूर करता है !तेज,और शौर्य को बढ़ाने बाला है!तीन मुख बाले रुद्राक्ष को धारण करने से एश्वर्य की प्राप्ति होती है!
४.चतुर्मुखी रुद्राक्ष-यह साक्षात् ब्रम्हा जी का स्वरूप है इस रुद्राक्ष से धर्म अर्थ काम मोक्ष चारो [पुरुषार्थो कि प्राप्ति होती है
५.पंचमुखी रुद्राक्ष-पंच देवो का स्वरुप है (विष्णु ,शिव गनेस
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